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Govind Singh

Drama Others

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Govind Singh

Drama Others

दोस्त और अनजान

दोस्त और अनजान

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जब हम पक्के “दोस्त” बन गए, बस तभी किसी “अनजान” ने हमारी दोस्ती में सेंध मारने की कोशिश की। हालांकि वह काफी हद तक अपनी सेंधमारी में कामयाब भी हो गया था। परन्तु वो कहते हैं ना कि “विश्वास” कभी मरता नहीं। तो अन्त में जीत विश्वास की हुई और अनजान को पुनः अनजान बनना पड़ा। अब मैं और मेरा दोस्त अक्सर उस अनजान के बारे में बातें करते हैं कि वो होता तो ऐसा होता, वो होता तो वैसा होता..


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