दल बदल की राजनीत
दल बदल की राजनीत
काये लाला कैसा है तू। मैं तो ठीक हूँ, श्यामू तुम बताओ, कैसे हो? लाला काम धन्धा कैसा चल रहा है? अब क्या बताएं श्यामू तुम तो जानते ही हो बाजार मन्दा चल रहा है, ग्राहकी हो नहीं रही है। जो लगाया है वो भी तो निकल नहीं रहा। श्यामू, मैं तो सोच रहा हूँ काम धन्धा बन्द कर दूँ। मोयें जा में कोई फायदा नहीं दिख रहा। लाला मुझे एक आइडिया आया है। तुम सुनो तो बताऊँ..क्या कहते हो? सुना भाई क्या आइडिया आया है तुम्हारी खोपड़ी में? सुनो लाला देखने में आ रहा है कि आजकल चुनाव लड़ने में बहुत फायदा है। वो कैसे श्यामू? सुनो लाला अभी तुमको धन्धे में ईमानदारी दिखानी पड़ती है। चुनाव लड़े और जीत गये तो अभी नेताओं की मंडी सज रही है। सुनने में आ रहा है कि बड़े ऊँचे ऊँचे दाम लग रहे हैं। श्यामू तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा; अपन को टिकट कौन सा दल देगा? अरे लाला दल छोड़ो अगर जीत गये तो कोई भी दल खरीद लेगा हमको। अरे वो सब तो ठीक है, श्यामू तुझ पर तो बदमाशी के आरोप लगे हैं, तो तुझे कौन वोट देगा? अरे लाला कैसी बात कर रहे हो आजकल बाजार में एक साबुन चल रहा है। कमल छाप साबुन, उससे बस हाथ धोने हैं तो आरोप सब अपने आप धुल जायेंगे।