धैर्य जीवन का एक अस्त्र है!
धैर्य जीवन का एक अस्त्र है!
जब में बारह साल का था तो हमेशा एक ही चिंता रहती थी की पढ़ाई में श्रेष्ठम अंक कैसे लाये. जैसे जैसे आगे बढ़ते गए तो दूसरी चिंता सताने लगी कि अब कौन सा क्षेत्र चयन करे. पर बात यहीं खत्म नहीं होती है, जैसे तैसे क्षेत्र चयन करके नामांकन कराया और अपनी स्नातक की उपाधि पूरी की उसके बाद नौकरी के लिए यहाँ वहाँ भटकते रहे. पर 2 साल तक कोई नौकरी हाथ नहीं लगी. अंततः मैंने खुद की व्यापार की सुझी. तब मैं 25 वर्ष का हो चुका था. वहीं मेरे कुछ दोस्त जो बचपन हमेशा साथ खेलते थे उन्होंने कोई पढ़ाई नहीं की, 18 साल की उम्र से कमाना चालू कर दिया था. वो अब आत्मनिर्भर होकर घुम रहा था और मैं रोज नौकरी के लिए भटक रहा था. पर मेरे अंदर यह बात थी की, मैंने कभी अपने धैर्य को ख़तम
होने नहीं दिया. मोटी पूंजी नहीं होने के कारण व्यापार आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे. बाकी दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसी निकम्मे का छाप दे दिया था. पर मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी!
एक दिन मैं बीमार था तो पास के मार्केट में डॉक्टर के पास इलाज के लिए गया, तो मुझे कुछ दवाइयों की जरुरत पड़ी जो वहाँ उपलब्ध नहीं था. तो डॉक्टरने मुझे शहर से मांगने का परामर्श दिया. तो मैंने दवाई मँगवाई. उसके बाद मैं दवाइयों का व्यापार शुरू करने का सोचा. पर पूंजी की कमी थी, इसलिए मैंने ऋण लेकर अपना अपना व्यापार चालू कर दिया. धीरे धीरे एजेंसी खड़ी कर दी. जो लोग निकम्मा कहते थे अब वो कामयाब समझने लगे हैं. इसलिए जिंदगी में सफल वहीं होता है जो कठिन से कठिन समय पर भी धैर्य का साथ न छोड़े!