Nimisha Singhal

Drama

5.0  

Nimisha Singhal

Drama

देवी

देवी

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संदली !" चेहरा पढ़कर किसी के बारे में क्या क्या बताया जा सकता है इसी पर कार्य कर रही हूं।"

इस कार्य में किताबी ज्ञान से ज्यादा लोगों से बातचीत करने उन्हें समझने से बहुत कुछ जाना जा सकता हैं।

"तुम्हारा चेहरा देखकर मुझे तुम्हारी चेहरे में भी असंतोष ,परेशानियां दिखाई दे रही है "

शायद तुम बताना ना चाहो लेकिन बाहर से हंसता मुस्कुराता चेहरा और खूबसूरत दिल अंदर से टूटा हुआ दिखाई दे रहा है।

क्या बात है संदली क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूं?

संदली !मुझे आश्चर्य मिश्रित भावों से देखती रह गई बीती रात की कोई घटना उसके चेहरे को श्याम श्वेत बना रही थी वह मूक बधिर बन ना जाने कौन सी दुनिया में विचरण कर रही थी!!

संदली संदली मैंने उसको कंधों से झकझोरा।

संदली जैसे होश में आई।

अचानक उसका ध्यान टूटा और मेरी तरफ देखते ही उसकी आंखों से मोतियों की लड़ियां बह निकली।

मैंने संदली को गले से लगा लिया थोड़ा सुबकने के बाद आंसू पौछ संदली में अपनापन पाकर मुझे बीती रात का किस्सा सुनाया।

"कल रात जब मैं सोने चली तो रात में घनघना उठे फोन ने मुझे सोने नहीं दिया करीब 11:00 बज कर 45 मिनट का समय था।

इतनी रात को बज उठे फोन से पहले ही मेरी हालत खराब थी

मन में ना जाने कैसे-कैसे हालात आ जा रहे थे किसी अनहोनी की आशंका से मेरा कलेजा कांप रहा था।

मेरी रूममेट सो चुकी थी मन हुआ कि उसे उठा दूं।

कल की परीक्षा की सोच कर मैंने उसे नहीं जगाया और फोन उठाने चल पड़ी।

फोन पर एक भारी - भरकम आवाज जिसे मैं पहचानती नहीं थी सुनकर कलेजा मुंह को आने लगा।

किसी पुरुष की आवाज थी उसने मेरा नाम लेकर संबोधित किया और कहा, "संदली !

मैं इस मेडिकल कॉलेज का रिटायर्ड चेयर पर्सन हूं मैं कल तुम्हारे पास एक लड़की को भेजूंगा। उसे किसी भी कमरे में जगह नहीं मिल पा रही है। वैसे तो एक कमरे में दो ही लोग रह सकते हैं लेकिन तुम्हें कल जाकर वार्डन से बात करनी होगी और उन्हें बताना होगा कि यह मेरी छोटी बहन है बीमार है घर पर कोई नहीं है कुछ समय के लिए यह मेरे पास रहेगी कृपया इसे मेरे रूम में रहने की अनुमति दी जाए।

मेरे पूछने पर कि आपका क्या नाम है ?

वह लड़की कौन है ?और आप उसे यहां क्यों रखना चाहते हैं ?

उस आवाज ने किसी भी बात का उत्तर नहीं दिया और कहा समय आने पर तुम्हें सारी बातें बता दी जाएगी।

अगर तुमने मेरी बात की अवज्ञा की तो तुम्हारा भाई जो मेडिकल कॉलेज में सेकंड ईयर का छात्र है जिसका नाम आकाश है उसके साथ कोई घटना घट जाए तो फिर मत कहना

ऐसी धमकी भरी आवाज से मेरी घिग्गी बंधगई मेरे मुंह से शब्द ही ना निकले वह मेरे भाई का नाम भी ले रहा था उसे यह भी पता था कि मेरा भाई सेकंड ईयर में है।

मुझे लगा जैसे मेरे मुंह पर पट्टी बांधी गई है और हाथ पैर बांधकर डाल दिए गए। मैं अपने को बहुत ही लाचार और कमजोर महसूस कर रही थी समझ ही नहीं पा रही थी कि किस तरह इस मुसीबत से छुटकारा पाया जाए।

ना कहने का तो कोई प्रश्न ही नहीं था मैंने हां कर दी। उधर से आवाज आई शाबाश! ठीक है मैं कल 12:00 बजे दोपहर को शबनम को तुम्हारे रूम में भेज दूंगा।

खबरदार इस बारे में किसी से भी बात करने की कोई जरूरत नहीं है।

वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना।

इसी बात से मैं बहुत परेशान हूं आंटी और मैं यहां समुद्र किनारे मन हल्का करने के लिए आकर बैठ गई थी और मुझे आप मिल गई ना चाहते हुए भी सारी बातें आपको बता गई।

अब आप ही मेरी समस्या का कोई हल निकालिए मैं बहुत परेशान हूं मेरा पढ़ने में भी मन नहीं लग रहा है कल से मेरी परीक्षाएं शुरू हो रही हैं।

जानकी नेकुछ पल सोचा और संदली से कहा कि तुम निश्चिंत होकर अपने हॉस्टल जाओ और अपने भाई की भी चिंता मत करना सब कुछ ठीक हो जाएगा मैं तुम्हें 2 घंटे बाद फोन करूंगी अपना फोन नंबर एक कागज पर लिख कर मुझे दे जाओ।

संदली ने मुझे अपना फोन नंबर कागज पर लिखकर डरते डरते दे दिया ।

वह मुझे एक भयभीत हिरनी सी लग रही थी जो शेर की दहाड़ से घबरा उठी थी।

संदली ने एक आशा की किरण के साथ मेरा चेहरा देखा और उम्मीद का दामन थाम स्कूटर स्टार्ट करके अपने हॉस्टल चली गई।

वह नहीं जानती थी कि मैं सीआईडी विभाग से हूं।

आनन-फानन में अपने विभाग की मदद से फोन कॉल के जरिए और आवाज़ की रिकॉर्डिंग से उस शख्स को ढूंढ निकाला।

वह शख्स और कोई नहीं

एक शातिर हत्यारा था।

लड़कियों की हत्या करना उसका विशेष शौक था वह एक मानसिक रोगी के समान था।

यह महिला उसकी मदद करती थी। बदले में वह उसे मोटी रकम अदा करता था।

पता नहीं क्या घटना संदली के साथ घटने वाली थी?

जो देवदूत बनी जानकी ने कुछ ही पल में टाल दी थी।

जैसे ही वह महिला, हॉस्टल पहुंची पहले उसे गिरफ्तार कर लिया गया। फिर उसकी मदद से उस हत्यारे को भी ढूंढ लिया गया जो कि एक इनामी हत्यारा था।

संदली जैसी हजारों लड़कियों की जिंदगी को इस आदमी से खतरा था।

जो अब टल चुका था।

संदली उसी जगह जाकर उस आंटी को खोजती रही जो कल शक्ति का अवतार बनकर उसकी परेशानी का हल बनकर प्रकट हुई थी।

लेकिन आज कहीं भी वो पुण्य आत्मा दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही थी।

शायद वह देवी का अंश था जो मेंरी मदद करने के लिए धरती पर आई थी।

यह कहानी एक हॉस्टल में रहने वाली लड़की संदली की है जो अचानक रात को आए एक फोन से मुसीबत में आ चुकी थी और बेहद घबराई हुई थी कैसे जानकी ने आकर उसे मुसीबत से निकाल लिया और वह देवी स्वरूपा अपना काम करके गायब हो गई इसी के विषय में कहानी है।


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