डेढ़ हाथ की मालकिन
डेढ़ हाथ की मालकिन
उदयनगर, योगीहिल, स्वप्ननगरी के पीछे रूम नं. 44 में रहती है ठगुबाई बोलधने। पति की तीसरी पत्नी, छ: बच्चों की माँ, चार घरों में काम करके ये मकान खरीदने की हिम्मत रखने वाली स्वाभिमानी औरत। इसका जन्म औरंगाबाद के वैजापुर ताल्लुके के हनत गॉंव में हुआ था। जब ठगुबाई पैदा हुई तो इसके डेढ़ हाथ को देख कर इसके चाचा ने ज़ोर से ठहाका लगाते हुए कहा कि देखो तुम्हारे सारे पापों का परिणाम तुम्हारे सामने है। उसी समय उसकी मॉं ने मन ही मन संकल्प लिया कि वो उस अधूरी बच्ची को संपूर्ण बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। बचपन से ही किसी ने भी उस पर दया नहीं दिखाई और उसके दायें आधे हाथ के साथ ही उसे इस तरह प्रशिक्षित किया कि उसे कभी भी अपना हाथ आधा नहीं लगा।
वो पूरे आत्मविश्वास से पूरे घर का काम संभालती रही और साथ ही साथ उसने शिक्षा भी प्राप्त की। परंतु फिर भी किसी ने उसका हाथ नहीं थामा। अंत में मजबूरी में इसके माँ-बाप को एक बूढ़े शराबी की तीसरी पत्नी के रूप में इसका विवाह करना पड़ा। पर फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और न केवल अपने बेरोज़गार पति और बच्चों को संभाला बल्कि चार घरों में बर्तन, कपड़े और खाना बनाने का काम इतना अच्छा किया कि लोगों ने उसका नाम ही ठगुबाई से बदल कर शोभा कर दिया। अपनी आय से न केवल इसने बच्चों को पढ़ाया लिखाया और उनकी शादियाँ कीं पर साथ ही साथ एक छोटा सा घर भी ख़रीद लिया।
वहीं विधि की मार देखिए। उसके जन्म के एक महीने बाद उसके चाचा के घर भी ठीक वैसी ही कन्या पैदा हुई। डेढ़ हाथ वाली। पर उसके चाचा-चाची ने अपनी बेटी को लाड-प्यार से खूब बिगाड़ दिया और पैसे के ज़ोर से घर जमाई भी ख़रीद लिया। पर उनकी बेटी के बुरे व्यवहार से वो दामाद भी घर से भाग गया। अब वो लड़की अपने मॉं बाप पर बोझ है।
और यहॉं हमारी ठगुबाई से शोभा बनी इस औरत ने अपने डेढ़ हाथ से भी नौ हाथों वाली दुर्गा का रूप धारण कर लिया ।
