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Chanchal Narula Puri

Drama

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Chanchal Narula Puri

Drama

दाहिना हाथ

दाहिना हाथ

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राजू को पढ़ने का बहुत शौंक था पर मजबूर माँ रोज़ अपने साथ उसे स्कूल मे ले जाती जहाँ वो सफाई किया करती थी,पढ़ाने के लिए नहीं कूड़ा बीन ने के लिए। राजू कूड़ा बीन अपने झोले मे भरता जाता था। घर आ सब कूड़े को टटोलता और उसमे से जो कुछ भी लिखने पढ़ने को मिल जाता उस से अपने आप लिखना सीखता रहता।एक दिन समीर जो 7वी कक्षा मे पढ़ता था , अचानक बस से उतरते वक़्त गिर गया। जैसे ही राजू ने भागते हुए उसे संभाला और उसका बैग अपने कंधे पर टांगने लगा , समीर चिल्लाया और अपना बैग उस से छीनते हुए बोला तुमने कभी हाथ भी धोए हैं ? मेरा बैग उठाने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी ?

राजू ने माफ़ी मांगते हुए कहा भैया अगर मैं आपको सहारा ना देता तो आप गिर जाते और आपको चोट लग जाती। समीर मुँह बना कर बड़बड़ाता हुआ चला गया की " उन्ह अब ये सहारा देगा मुझे।चल अपना गन्दा झोला संभाल।"

अगले सप्ताह ही वार्षिक परीक्षायें शुरू थीं और समीर फिर गिर गया। उसका दाहिना हाथ टूट गया और प्लास्टर चढ़ाना पड़ा पूरे 1 महीने के लिए। परीक्षा ना दे पाने की वजह से उसका एक साल ख़राब हो सकता था। जब समीर के पेरेंट्स ने प्रिंसिपल से परीक्षा बाद मे देने की रिक्वेस्ट की तो साफ मना कर दिया और विकल्प दिया की अगर कोई ऐसा बच्चा है जो समीर के लिए लिख सके तो वो उसको परीक्षा मे बैठने की अनुमति दे सकते हैं।

पर जब सब बच्चों की परीक्षायें चल रही हैं कौन लिखेगा समीर के लिए?जब ये नोटिस पढ़ा राजू ने तो वो समीर के पास गया और बोला भैया मैं बनूँगा आपका दाहिना हाथ। हम दोनों एक और एक मिलकर 11 बनेंगे भैया। हाथ धोकर ही आऊंगा भैया इस बार। समीर अपने आंसू ना रोक पाया और गले लगा लिया राजू को। बोला आज तेरा झोला मेरे बास्ते से कहीं उप्पर उठ गया।

समीर की सभी परीक्षायें राजू ने लिखी और प्रथम आया। जिसका परिणाम ये हुआ की राजू की लगन देख उसको मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिल गया उसी स्कूल मे |


चंचल


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