चिंता
चिंता
रामपुर गांव में एक सेठ रहता था। वह अमीर था फिर भी उसे पैसे कमाने की इच्छा हमेशा रहती। उसे संसार का सबसे बड़ा धनवान आदमी बनना था। एक दिन उसे पता लगा की गांव के बाहर पहुंचे हुए महात्मा साधु रुके हुए है, उसने भी उनसे मिलने की सोची ओर दूसरे ही दिन वह उनके पास पहुंचा ।महात्मा को प्रणाम करके उसने अपने मन की बात कहना शुरू किया की मैं सात पीढ़ियों के लिए धन जमा करना चाहता हूँ कोई उपाय बताए। उसकी बाते सुनकर साधु मुस्कुराने लगे फिर उन्होंने कहा कि तुम्हें एक काम करना होगा। मंदिर के पास एक गरीब औरत रहती है उसे भोजन देकर आना होगा सेठ मान गया। दूसरे दिन वह भोजन लेकर पहुंचा दोपहर का समय था वह औरत उन्हें मंदिर के पास ही मिल गई ।सेठ जी ने जब भोजन देने की बात कही तब उसने उत्तर दिया की आज मैंने भोजन कर लिया है और अब में फिर भोजन नहीं करूंगी और आने वाले कल की चिता में नहीं करती। आप भोजन ले जा सकते है सेठ को समझ आ गया था और वह समझ गया की महात्मा ने उन्हें वहाँ क्यों भेजा था सेठ वापस चला गया उसने भविष्य की चिंता करना छोड़ दिया और वह खुश रहने लगा।
