बरसात की एक रात
बरसात की एक रात
मैं स्नाया आज आपको एक रात की बात बताती हूं। वो रात जब खूब तेज़ बरसात हो रही थी और मैं अपने घर पर अकेली थी और घर भी चार मंजिला जिसमें मेरे सिवा उस दिन और कोई भी नहीं था।
मैं जल्दी से खाना बना कर अपने कमरे में आ गई और खिड़की दरवाजे को बंद कर दिया। टीवी लगा कर खाना खाने बैठी ही थी कि जोर जोर से दरवाजा खटकने लगा। मेरा खाना गले में ही अटक गया था जैसे की इतनी रात को कौन आया है।
मैं बहुत डर गई और उस पर लाइट भी चली गई। तब तो जैसे मैं जम ही गई थी तब मैंने बिजली कड़कने की आवाज़ सुनी तो पता चला कि बारिश हो रही हैं और हवा से दरवाजा खटकने लगा था।
