भलाई की सीख
भलाई की सीख
एक बार एक राजा था वो किसी नगरी में घूमने के लिए गया तो उसे कोई घायल पक्षी दिखा तो उसे वो हाथ मे लेकर उस नगरी के राजा के पास गया और बोला महाराज इसकी रक्षा के लिए कोई व्यवस्था करो तो उस राजा ने अपने मंत्री यो से कहा कोन है ये अनजान आदमी को अंदर कैसे आने दिया तो उस राजा ने उन मंत्रियों को दंड दे दिया और वह राजा अपने हाथ मे लिए पक्षी को लेकर अपनी नगरी की ओर आ गया काफी समय बाद दूसरे राजा पर किसी अन्य राजा न आक्रमण किया तो वह सहायता के लिए उस राजा के पास मंत्री भिजवाया की आप मेरी सहायता करो तो उस राजा ने मंत्री से कहा कि मैं एक बार एक घायल पक्षी को लेकर आपके राजा के पास गया था तब आपके राजा ने उस पक्षी की रक्षा न कि उल्टा अपने ही मंत्री को दंड दिया आपके राजा घमंड से चूर थे किसी जीव के प्रति दया का भाव नही था अब मैं कैसे सहायता करू यह बात जब मंत्री ने राजा को जाकर बताई तो राजा ने अपनी भूल का बहुत दुख हुआ और जिस मंत्री को दंड दिया उसको दंडमुक्ति कर माफी मांग ली वह पूरी नगरी में ऐसी सूचना दी की कोई प्राणी अगर घायल, भूखा, प्यासा नही रहे किसी को किसी भी प्रकार की सहायता चाहिए तो जरूर दरबार मे आए इस बात का समाचार उस राजा को मिला तो वह बहुत खुश हुआ और उसकी सहायता के लिए आ गया और राजा की जीत हुई जिसने आक्रमण किया उसको भागना पड़ा।
शिक्षा
हमेशा प्राणियों की रक्षा करनी चाहिए व घमण्ड कभी नही करना चाहिए
