भारत माता की खोज
भारत माता की खोज
देशगान गाना देशभक्ति का बैरोमीटर है, यह एक सवाल है किन्तु वो लोग बहुत ऊँचे सुर में देश व ईश्वर का गीत गाकर मिलावट, चोरी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी व अतिक्रमण करते हैं, वो तो देशभक्त हो ही नहीं सकते। मां की वंदना करता हूँ, मां वंदनीय है किन्तु जो अपनी मां का सम्मान नहीं करते वो भारत मां की वंदना क्या कर पायेंगे। भारत माता देश की सीमा, भौतिक स्थिति आदि में नहीं है। हां, प्रत्येक देशवासी के बीच जो अदृश्य संबंध समरसता, सौहार्द, प्रेम, सद्भाव, करूणा, त्याग व परहित से बने होने चाहिये उन्हीं से भारत माता का निर्माण होता है। देश की वो औरत जो कमर में शिशु को बांधकर सड़क पर पत्थर तोड़ती है, जो बांध, भवन, पुल व रेलवे लाइनों के निर्माण में, खेत-खलिहानों में काम कर रही है वही भारत माता है ।
वन्देमातरम, आनन्दमठ का वो गीत है, जो साधु सन्यासी आज़ादी से पूर्व देवी शक्ति की उपासना करते हुये गाते थे। इसमें देश के पर्यावरण में देवी की प्रतिकृति का वर्णन है, इस लिहाज से नदियों को साफ रखना, खाद्यानों की बर्बादी रोकना, पारिस्थितिकी संतुलन बनाये रखते हुये आपस में एक-दूसरे की भावना को समझते हुये सामूहिक व पर्यावरण के हित में कार्य करना भी देशभक्ति है ।
वेद प्राचीन हैं जो साफ कहते हैं – हम साथ-साथ चले, समान रूप से बोलें व एक दूसरे के मन को जानें । तब सब एक आवाज़ में बोल सकते हैं – “सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा।"
