Poonam Sethi

Inspirational

2.3  

Poonam Sethi

Inspirational

बड़ी बहू

बड़ी बहू

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सोनिया ने अपनी सास को कुछ हकलाते हुए कहा "माँजी.. मैं ... आपसे कुछ कहना चाहती हूँ।"

सासू माँ ने कहा- "बोलो बेटा क्या कहना है ?

"माँ देवर जी के जाने बाद रीमा और गुड़िया की हालत देखी नहीं जाती, आप देखो दोनों कितनी अकेली पड़ गई है......

मैं सोच रही हूँ ....

क्या सोच रही हो ? बोलो बहू....माँ का स्वर कुछ तीखा सा हो गया था....नहीं...नहीं.. .माँ, आप मुझे गलत मत समझो....."माँ "आप गुस्सा मत हो, होनी को कौन टाल सकता है। देवर जी का असमय जाना हम सबको सालता है... पर रीमा की पहाड़ सी जिंदगी कैसे कटेगी एक बच्ची के साथ.……

माँ आपको तो पता है, मेरी भाभी का मुन्ना के जन्म के बाद देहांत हो गया था। भैया भी अकेले पड़ गए है, मुन्ना भी सम्भलता नहीं है, उनसे "माँ ' मैं सोच रही हूँ क्यों ना.... भैया और रीमा को विवाह के बंधन मैं बाँध दूँ, मुन्ने को माँ और गुड़िया को पिता का साया मिल जायेगा....... 

माँ अपनी बड़ी बहू को अपलक निहारे जा रही थी, कुछ दुःख और कुछ खुशी के मिले जुले भाव माँ के चेहरे पर आ  जा रहे थे...

... हूँ .. हूँ...की .... मौन स्वीकृति मिलते ही सोनिया के कदम अपने घर की ओर बहुत तेजी से बढ़ने लगे ..... अपने घर मे बड़ी बहू के स्वागत की तैयारियां भी तो करनी थी।


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