औरत
औरत
दुखों का ज़हर पीती आई हंसकर जिंदगी जितनी आई
औरत दुर्गा है औरत काली है औरत मर्द से शक्तिशाली है
1
मर्द ने पैरों की जूती सदा बना कर रखा
क्या बीती है इस के दिल पर कभी ना उसने सोचा
क्या सोचेंगे छोटे दिल के क्या औरत की परेशानी है
दुखों का
औरत
2
बनती है जननी वह जन्म देती मर्द को
खुशियों से पी जाती है सारे दर्द को
देवी है दुर्गा है यह सृष्टि की रचयिता है
इसमें तो समाई है सारी शक्तियां
औरत तो कुदरत की अनमोल निशानी है
दुखों का
औरत
3
मानते नहीं मर्द पहचानते नहीं मर्द
धन की दाता लक्ष्मी शक्ति की दाता दुर्गा जी विद्या की दाता सरस्वती
औरत की महानता सूरज शालू रोज सबको बतानी है।
