आंटी मत कहो ना
आंटी मत कहो ना
भले ही दो बच्चों की अम्मा हूँ, पर जब भी पड़ोसन की कॉलेज वाली बेटी कहती मुझको "हैलो आंटी", तो धीरे से मुस्करा के मैं कहती, "तुमसे सिर्फ 8-10 साल ही तो मैं बड़ी हूँ, प्लीज आंटी मत कहो ना।"
लगा के गौग्लस, पहन के हील्स पहुंची जब मैं मॉल, सेल्समैन बोला, "आंटी जी बोलिए क्या दिखाऊं।" बस फिर क्या था, गुस्से से हो गए लाल मेरे गाल और मुँह से निकला अनायास, "आंटी होगी तेरी माँ, करते हो भैया तुम कमाल, आंटी तो मत कहो ना।"
उस दिन सड़क पर एक अधेड़ भिखारी को देख दया मुझे आ गयी। बटुए से बीस का नोट निकाल ही रही थी कि तभी वो निकम्मा बोल पड़ा, " भगवान के नाम पे कुछ दे दो आंटी।" इतना गुस्सा आया कसम से कि बीस रुपये की जगह बीस गालियाँ दे के आ गई। जाते-जाते मैं बोली," ये ले रख रुपये तू पाँच, पैसे कमाने हैं तो जान ले आज ये राज की बात, किसी औरत को आंटी मत कहना आज के बाद।"
हद तो एक दिन बस में हो गई, मुझे खड़ा देख एक बुजुर्ग सीट से उठ के बोले, "यहाँ बैठ जाओ आंटी, मुझे अगले स्टॉप पर उतरना ही है।" ऐसा खून जला मेरा कि क्या बताऊँ, पर उम्र का लिहाज़ कर के सिर्फ इतना ही बोल पाई, "अंकल जी सीट आप ही रख लो, पर प्लीज आंटी मत कहो ना।"
चालीस की हो गई तो क्या, बाल भी सफेद नहीं हुए हैं अब तक और न आँखों पर चढ़ा है ऐनक। एक-दो 'फाइन लाइंस' हैं चेहरे पर और आंखें थोड़ी धंस गईं हैं बस, पर इसका मतलब ये तो नहीं न कि मुझे आंटी कहेंगे सब। गुजारिश करती हूँ सबसे, इस मुए शब्द का खंजर मेरे दिल पर मत भोंको न, कुछ भी कह लो यारों पर, आंटी मत कहो ना ।