आजकल
आजकल
आजकल और दौड़ मच रही है
कुछ इसमें गिर रहे हैं तो कुछ इसमें उठ रहे हैं।।
स्व क्या पर क्या हर ओर एक दौड़ मच रही है।
गिर गया जो कोई उसे उठाने वाला कोई नहीं है।।
साथ-साथ चलने वाला कब साथ छोड़ देगा।
यह कहने वाला कोई नहीं है।।
समय भी वैसे ही चल रहा है।
जैसे हम सभी चल रहे हैं ।।
कौन किसको क्या कब कह जाए ?
ना तुझे पता ना मुझे पता है।।
कल जो तेरे साथ थे ।
वह आज तुझसे दूर जा रहे हैं।।
जो तू रुक गया तो ।
तेरे साथ वाले तुझ से आगे निकल जा रहे हैं।।
धर्म क्या अधर्म क्या ?
सब उसी ओर जा रहे हैं ।।
जो आज चल रहा है।
कल वह उसी ओर जा रहे हैं।।