10 मिनट
10 मिनट


मेरा नाम अशद है उम्र 24 वर्ष। मेरी रुचि बाडी बिल्डिंग मे शुरू से ही रही है। दिनांक 05-06-2020 रात्रि 8:30 बजे मैं जल्द सोने की तैयारी करने लगा कयोंकि सुबह 4:00 बजे मैं दौडना शुरू कर दिया था। लाकडाउन होन की वजह जिम 3 महिनों से बंद था। जिसके कारण मेरा वजन बढ गया और मेरा शरीर काफी भारी भरकम दिखने लगा था इसलिए मैंने दौडना शुरू कर दिया। बिस्तर पर लेटने के कुछ देर बाद मैं सो गया। मेरी नींद खुली तो लाइट जलाया समय देखा तो रात्रि 11:45 हो रहा था। मैं टोयलेट गया हाथ पैर धोकर फ्रिज से पानी का बोतल निकाला और अपने कमरे मे आ गया। घडी की ओर ध्यान दिया तो 11:50 हो रहे । मैंने सोचा 12 बजने ही वाले हैं क्यूंं ना बहन को सालगिरह की मुबारकबाद दिया जाये।दिनांक 06-06-2020 को मेरी बहन का सालगिरह है जो कि दुबई मे अपने परिवार के साथ रहती हैं। मैन मोबाइल उठाया और इंटरनेट से सालगिरह की तस्वीरों को खोजने लागा। कुछ तस्वीर मैंने वहां से लेकर मोबाइल में रख लिए। ठीक 12 बजे मैंने फोटो डालकर सालगिरह का संदेश लिखा और भेज दिया।
फिर पानी पीकर लेट गया । जैसे ही मैं लेटा मेरी आंखें बंद हो गई ऐसा लगा मानो शरीर एकदम हल्का हो गया हो और किसी अंधकार कि ओर लुढक रहा हो अचानक शरीर का तापमान भी कम लगने लगा । ठंड का एहसास हो रहा था। तभी मुझे ऐसा लगा कि मैं बहुत तेजी से अंधकार की ओर गिर रहा हूँ। मैं उठने की कोशिश करने लगा पर नाकाम रहा । मैंने अपनी आंखों को खोलने की कोशिश की पर पता नहीं मैं अपनी आंखें खोल क्यूँ नहीं पा रहा। मुझे डर लगने लगा कहीं मैं मर तो नहीं गया या फिर मैं सपना देख रहा हुं। फिर मैंने अचानक उठने की कोशिश करने लगा हाथ पैर चलाने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरा शरीर कोई हरकत नहीं कर रहा था। अब मुझे रोना आ रहा था। मैं ऐसे कैसे मर सकता हू। कम से कम मैं अपनी मां को आखिरी बार देख पाता कुछ बोल पाता। मैंने अपने आप को समझाया मैं मरा नहीं हू यह र्सिफ एक सपना है मैं अपने सिने पर हाथ रखकर दिल की धडकन सुनना चाहा मगर मैं अपना हाथ हिला भी नहीं पा रहा था। मैं रोने लगा जोर जोर से मगर मुझे एहसास हुआ कि ना तो मेरी अवाज निकल रही थी ना ही मेरे आंखो से आंसु।
मैंने अपने आप को समझाया कि नहीं मैं मरा नहीं हूँ अगर मैं मरा होता तो मेरा दिमाग काम नहीं करता फिर मुझे याद आया की आदमी के मर जाने के बाद भी उसका दिमाग 10 मिनट तक जिवित रहता है फीर मैंने ध्यान लगाकर अपने दिल की धडकन सुनने की कोशिश की मुझे एहसास हुआ कि मेरी धडकन नहीं चल रही और मुझे पूरे शरीर मे एक समान ठंड का एहसास होने लगा फीर मुझे याद आने लगा कि जब कोई मर जाता है तो उसका शरीर ठंडा हो जाता है। मैं जोर जोर से चिल्ला कर मम्मी को बुलाने लगा मगर ना तो मेरी अवाज निकल रही थी और ना ही मैं अपना शरीर हिला पा रहा था। फिर मैं अपने आप को समझाने लगा कि यह सिर्फ एक सपना है। मैं बिस्तर से उतरने को हुआ ही था की जमीन पर गिर गया मैं खडा नहीं हो पा रहा था तो रेंगते हुए मम्मी के कमरे मे जाने लगा और जोर जोर से मम्मी को पुकार रहा था। मम्मी के कमरे मे पहुंचा और मम्मी को जगाने लगा जैसे ही मैं मम्मी को छूने की कोशिश की मैं छू नहीं पा रहा फिर मुझे याद आया कि जब मैं बिस्तर से गिरा था तो मुझे दर्द का एहसास नहीं हुआ था। फिर मुझे एहसास हुआ कि जैसे मैं बिस्तर से उतरा ही नहीं था मैं सिर्फ अपने दिमाग से बोल रहा था कि मैं जिंंदा हु और मम्मी के पास जा रहा हु। मगर हकीकत ये थी कि मैं अभी भी बिस्तर पर ही था और मैं अपना शरीर को हिला भी नहीं पा रहा था। मैं रोने लगा ना तो मेरे आंसू निकल रहे थे ना ही अवाज। मैं सिर्फ यही सोच रहा था कि मम्मी आकर मुझे सपने से उठा दे।
तभी अचानक झटके से मेरी आँख खुली तो मैं उठकर बैठ गया। लाइट जल रहा था। पानी की बोतल से पानी पीते हुए मैने खुद से बोला कितना बुरा सपना था दिल पर हाथ रखकर अल्लाह का नाम लिया मुझे एहसास हुआ कि दिल की धडकन एकदम सामान्य है जबकि इतना डरावना सपने से दिल की धडकन बढ जाता है और शरीर का तापमान भी थोड़ा गरम था शायद गर्मी ज्यादा होने कि वजह से। फिर मैं सोचने लगा कि क्या ये सपना था या हकीकत जैसे ही मैने सर उठाया घडी की ओर देखा तो घडी मे बज रहे थे रात्रि 12:15.