स्वछंद उन्मुक्त फिजाओं मे पक्षी विचरें हरित तरुवर झूमेंगे अपनी मस्ती में। स्वछंद उन्मुक्त फिजाओं मे पक्षी विचरें हरित तरुवर झूमेंगे अपनी मस्ती में।
जिसे जानने तक नहीं दिया पल भर भी मुझे और उसे बनाने बोल रहा हैं सब अपना... जिसे जानने तक नहीं दिया पल भर भी मुझे और उसे बनाने बोल रहा हैं सब अपना...
आओ !! प्रिय उस लोक में विचरण कर आएँ जहाँ मिले थे मनु- श्रद्धा, अपलक निहार आएँ। आओ !! प्रिय उस लोक में विचरण कर आएँ जहाँ मिले थे मनु- श्रद्धा, अपलक निहार आएँ...
तों बिन चक्की के घूरे आटा कैसे निकल सकता हैं.... तों बिन चक्की के घूरे आटा कैसे निकल सकता हैं....
देखता हूँ तुम्हें, कभी छोटी सी, ज्योति की तरह। कभी कुहाँसे में, रूपहली झलमल, बुन्द की तरह। कभी... देखता हूँ तुम्हें, कभी छोटी सी, ज्योति की तरह। कभी कुहाँसे में, रूपहली झलमल,...
वो सतरंगी पल ना दिखा कहीं, जो था बचपन के बचपना की ओर। वो सतरंगी पल ना दिखा कहीं, जो था बचपन के बचपना की ओर।