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priya banthia

Abstract

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priya banthia

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यह न सोचना

यह न सोचना

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मुझे आसमान की ऊंचाई दिखा कर

यह न सोचना कि मैं उस उंचाई से डर जाउंगी,

मैं उस पंछी की तरह हूं जो

हर दिन उड़ान भरने का होंसला रखता है।


मुझे रोते हुए देख कर

यह न सोचना कि मैं कमजोर हूं,

मैं उस फूल की तरह हूं

जिसका स्वभाव ही खिलते रहने का है।


मेरी मंजिल में रुकावट पैदा करके

यह न सोचना कि मैं रुक जाउंगी,

मैं उन लहरों की तरह हूं जो

चट्टानों को भी पार करने की ताकत रखती है।


मुझे चुनौती दे कर यह न

सोचना कि मैं हार जाउंगी,

मैं उस चांद की तरह हूं जो अमावस्या के बाद

पूनम तक अपनी चमक को

हासिल कर के रहता है।

मुझे शांत देख कर

यह न सोचना कि मैं चुप हूं,

मैं उस शेरनी की तरह हूं जो वक्त

आने पर दहाड़ भी सकती है।

हां, मैं आज की लड़की हूं, और यह

बिलकुल न सोचना कि मैं किसी से कम हूं।


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