ये मेरा दीवानापन है या मुहब्बत का सुरुर
ये मेरा दीवानापन है या मुहब्बत का सुरुर
सबने कहा,
अच्छा लिखना है तो,
खूब पढ़ो…….
मैने,
तुम्हें पढ़ लिया !
जानते हो,
तुम्हें पढ़ते-पढ़ते,
जुड़ जाते हैं मुझसे
तुम्हारी रचनाओं के कैरेक्टर्स
और न जाने कब
उनसे हाय हैलो के बाद
होने लगती हैं लम्बी लम्बी बातें…
उनके यूनिक नाम,
बन जाते हैं,तुम्हारी रचनाओं की,
पहचान और कॉपीराइट …
सुनो,
कहते हैं सब,
अच्छा पढ़ो,
पर अब तुम्हें पढ़ने के बाद ,
नहीं लगता कोई और अच्छा …
होते हैं जिन पर
हजारों लाइक्स, कमेंट्स
वे भी तुम्हारे लेखन के आगे
हमें धुंधले नजर आते हैं !
सुनो ना,
लगता है जैसे,
तुम्हारी रचनाओं को पढ़ते पढ़ते
ना चाहते हुए भी
होने लगा है हमें तुमसे इश्क,
नहीं पता , ये पागलपन है या प्यार,
पर, तुम्हारे लेखन की इस दीवानगी ने,
बना दिया है हमें तुम्हारा दीवाना !
