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Usha Bhadauria

Abstract

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Usha Bhadauria

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ये मेरा दीवानापन है या मुहब्बत का सुरुर

ये मेरा दीवानापन है या मुहब्बत का सुरुर

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सबने कहा, 

अच्छा लिखना है तो, 

खूब पढ़ो…….

मैने,

तुम्हें पढ़ लिया !


जानते हो, 

तुम्हें पढ़ते-पढ़ते, 

जुड़ जाते हैं मुझसे

तुम्हारी रचनाओं के कैरेक्टर्स 

और न जाने कब

उनसे हाय हैलो के बाद 


होने लगती हैं लम्बी लम्बी बातें…

उनके यूनिक नाम, 

बन जाते हैं,तुम्हारी रचनाओं की,

पहचान और कॉपीराइट …


सुनो, 

कहते हैं सब, 

अच्छा पढ़ो, 

पर अब तुम्हें पढ़ने के बाद , 

नहीं लगता कोई और अच्छा … 


होते हैं जिन पर

हजारों लाइक्स, कमेंट्स 

वे भी तुम्हारे लेखन के आगे

हमें धुंधले नजर आते हैं ! 


सुनो ना, 

लगता है जैसे, 

तुम्हारी रचनाओं को पढ़ते पढ़ते 

ना चाहते हुए भी 

होने लगा है हमें तुमसे इश्क,

नहीं पता , ये पागलपन है या प्यार,

पर, तुम्हारे लेखन की इस दीवानगी ने, 

बना दिया है हमें तुम्हारा दीवाना !


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