यादें
यादें
यादों की कोई उम्र नहीं होती है,
यादें सदाबहार,सदाजवां होती हैं।
यादों के आने की कोई तारीख तय नहीं होती है,
यादें तो कभी भी दिल के दरवाजे पर दस्तक दे देतीं हैं ।
यादें अचानक ही जेहन में आकर खड़ी हो जाती हैं,
कभी बदरंगी तस्वीर दिखाती हैं, कभी खूबसूरत रंगीन तस्वीर दिखाती हैं ।
यादें कभी धुंध में लिपटी अधूरी ख़्वाहिशों का ध्यान दिलाती हैं,
तो कभी सोये अरमानों को जगा जाती हैं ।
यादें कभी गुज़रे लम्हों की कसक से दिलको भर जाती हैं,
कभी हसीन ख़्वाबों का मंज़र दिखाकर खुशनुमा पल दे जाती हैं ।
यादें कभी दिल के जख्मों को छेड़ कर आखों में सैलाब ले आतीं हैं ,
कभी दिल में जाने कैसे अहसास और जज़्बात जगा जाती हैं।
यादें कभी दिल के खयालों को बयाँ करने के लिए
हाथों में कलम ,स्याही थमा देतीं हैं,
और फिर ये ख्याल ही अल्फाज़ों में ढल जाते हैं
और शायरी, नज़्म, गज़ल बन जाती है।