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Anju Vaish

Abstract Inspirational

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Anju Vaish

Abstract Inspirational

वृक्ष और जीवन

वृक्ष और जीवन

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नन्हा सा एक बीज जो मैंने बचपन में बोया था,

उसके जैसे मैंने हर एक मौसम को झेला था।

जब-जब उसमें हरकत होती, नई उमंग भर जाती।

और हरियाली उसकी मेरे तन-मन को हर हर्षाती।


पृथ्वी की गोदी में सोया बीज वो जाग गया था,

उसी बीज से एक नया अंकुर फूट गया था।

नई कोपले उसकी मेरे जीवन की राहें थी,

जिस पर मुझ को चलते-चलते ख़ुशियाँ पा लेनी थी।


तूफानों से लड़ते-लड़ते बढ़ता पेड़ गया था,

और अंधेरे में भी हरदम मुस्काता था।

हर सुख-दुख को सहना उससे मैंने सीख लिया था,

और तन्हाई में उसको अपना साथी बना लिया था।


जब हो जाती मैं मायूस हिम्मत वो देता था,

और नई चेतना वो मुझ में भर देता था।

लेकिन घूमा समय का पहिया सब कुछ पलट गया था।

अंतिम पड़ाव के नज़दीक अब वो आ गया था,

एक थपेड़ा ऐसा आया पेड़ वो सूख गया था।


सारे रिश्ते नातों से नाता तोड़ गया था,

लेकिन जाते-जाते उसने सीख यह मुझ को

सिखलाई।

और जीने की नई दिशा है दिखलाई,

फिर होगी एक नई सुबह दिन वह आएगा।

उस पौधे की जगह एक नया बीज रोपेगा।

       


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