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मालती मिश्रा

Abstract

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मालती मिश्रा

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वंदना

वंदना

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करती हूँ वंदन नित अभिनंदन कृपा करो माँ शारदे

वरदहस्त मेरे शीश धरो माँ त्रुटियाँ सभी बिसार दे

भेदभाव सब छोड़ के पीछे पर उपकार का मार्ग गहूँ

समग्र विश्व हो कुटुंब समाना ज्ञान का ऐसा सार दे।



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