विषय -कलम*
विषय -कलम*
कभी बने मस्तानी का जलवा,
कभी रूदाली का बहता सदमा.
गम,खुशियों का खूबसूरत झूला,
कभी प्रेम संगीत का बने नगमा.
ज्ञान का खजाना बॉंटे हररोज
कलम की तलवार हैं अनमोल.
राह चलने की दिशा महकाए
उज्ज्वल भविष्य का जाने वह मोल.
समाजहित के भावना का संगम,
देश की क्रांती का कोहिनूर ताज.
अन्तर्मन जज्बातों का सुनहरा ख्वाब,
नयी दुल्हनियाँ का करे श्रृंगार साज.
कलम ईश्वर का स्वर्गमयी उपहार,
निर्झर आशिर्वादों की बहती प्रेमधार.
विज्ञान, इतिहास का वह परिवर्तन,
प्रकाशमय जीवन का अविष्कार।