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Saransh Arora

Abstract

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Saransh Arora

Abstract

उस भीड़ में...

उस भीड़ में...

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उस भीड़ में,

ऐसा नहीं था कि

कोई आवाज़ नहीं थी


सुनने के लिए बहुत थे,

पर दिल क पास नहीं थे

कहना था कुछ,

सुनना भी था कुछ,


पर जिसको अपना कह सके

ऐसे कोई आपने नहीं थे

कहने को दोस्त भी थे कई,

पर फिर भी दोस्ती थी


प्यार किसको करते,

हमारे तो कोई

प्यारे भी नहीं थे

उस भीड़ में,


लोग थे कई,

आवाज़ें कई थी,

पर शायद मैं

अकेला ही था वही।


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