उम्मीद
उम्मीद
न जाने कितनी उम्मीदों के साथ
एक सुबह की शुरुआत होती है,
पर क्यों भूल जाते हैं हम कि हर उम्मीद की
सफलता हमारे कर्म के हाथ होती है।
हमें सच्चाई के सिद्धांत को अपनाना होगा,
फिर खुद को यकीन दिलाना होगा,
सब होता है अच्छे के लिए दुनिया को समझाना होगा।
कितने भी बुरे कर्म करे इंसान पर
अच्छाई की उम्मीद नहीं छोडता,
अगर इतनी ही पक्की है आपकी उम्मीद
तो कुछ करके दिखाओ,
अपने अच्छे कर्मों से खुद की
एक नई पहचान बनाओ।
सफलता मिलने के बाद,
जब तुम आसमान में उड़ने
के लिए हो जाओगे आजाद,
फिर आप से भी लाखों लोग उम्मीद लगाएंगे,
हजारों आपके पास उम्मीद लेकर आएंगे।
पर मत भूलना वो दिन,
जब आप ने भी किसी से उम्मीद लगाई थी,
और दुनिया की इस भीड़ में किसी
नेक इंसान ने आपको उंगली थमाई थी।
उसी ने आपकी अच्छाइयों की ज्योति जगाई थी,
पर वो, वो नहीं जिसने आपकी पहचान बनाई थी,
ये तो सिर्फ तुम्हारे अच्छे कर्मों की सच्चाई थी।