तू
तू
तेरे नाम को समझ ना कमजोर कभी,
छिने जो उसे हो उसे अफसोस तभी.
चल उसे हर राह पे,
जिस पे मिटी थी शक्ससियत तेरी,
एक दिन उस मकान में
होंगी गूंज तेरी।
तोड़ उस चक्रव्हूव को,
जिसमें बंद है तेरी सिसकीयॉ,
फेकं दे अनचाही बेडियों को,
चढ़ सफलता की सिढ़ीयॉ।
वो दीवार ना कभी थी घर तेरा,
जिसमें उठ़े हाथ कई,
रोक उस हर शक्स को तू,
जो दिखाऐ तुझे औकात तेरी।
तेरे वस्त्र कभी तेरा वजूद ना थे,
तू ए
क औरत है इसका सबूत ना थे,
भेद उस हर नजर को तू,
जो चिरती है तेरा बदन,
बनाके पंख चूनर को तेरी
उड़ चल तू दूर गगन।
तू कीमती है,
किंमत ना लगाने दे किसी को,
तू गुमनाम ही सही,
पहचान छिनने ना दे किसी को।
अब तो उठ़ तू चल,
नजर मिला वक्त से,
डाले जो नजर तेरे साए पर भी,
सीच उसे रक्त से।
तू निभा हर किरदार,
पर खुद को अपने पास रख,
उन खरोंचों और छुरियों के पीछे,
जिंदा अपना अक्स रख।