तू चलते जा ! ऐ पथिक तू चलते जा
तू चलते जा ! ऐ पथिक तू चलते जा
तू चलते जा! ऐ पथिक
तू चलते जा...
तू परंतत्व का अंगभूत
तू ईश्वर का लाडला सुपूत
तू कण-कण तू
चल चल तू
हर बाधा का है हल तू
तू चलते जा...
तू नव ऊर्जा का वृजन
तू कर नव दृष्टि का सृजन
तू क्षण- क्षण तू
हर पल तू
समाज हित कर विचार तू
तू चलते जा...
तू दुर्बलों का आशा बिंदु
तू पावन है सम गंगा-सिंधु
तू थर-थर से
हर स्तर से
दीन-हीनों का कर उद्धार तू
तू चलते जा...
तू माँ भारती का है रक्षक
तू मारता जा देशद्रोही तक्षक
तू जन-जन से
तू मन-मन से
मत-भेदों को मिटाते जा तू
तू चलते जा ...
तू मत भूल तेरा मार्ग कठिन
तू ना हो माया से भ्रमित
तू चल-चल तू
ना रुक तू
संकटों पर कर विजय तू
तू चलते जा...