तुम क्यों उदास होती हो
तुम क्यों उदास होती हो
तुम क्यों
उदास होती हो,
देखो
ये सूरज निकल आया है
कल के घोंसले में अँधेरे को छोड़कर
धूप पंख फैलाए घूम रही है
कुछ बिखर रहा है
जमी पर
तुम्हें छूने के लिए
पहचानती हो ?
तुम भी देखो उसे छूकर
जो
तुम्हारे लिए है..
आओ
बाहर निकलो
और
देखो
कितना कुछ बिखरा पड़ा है
तुम्हारे लिए...
तुम क्यों
उदास होती हो