तुम करती ही क्या हो
तुम करती ही क्या हो
समाचार पत्र में छपा एक किस्सा ,
चर्चा का विषय बन गया।
'बिजनेस वीमेन' की उपलब्धियों से ,
सारा घर दंग रह गया।
महिलायें कहाँ से कहाँ पहुंच गई हैं,
ज़रा बाहर निकल कर देखो।
वैसे भी दिन भर घर पर तुम करती ही क्या हो।
किसी की चाय,
किसी का नीम्बू पानी,
किसी की दूध की प्याली ,
की ख्वाहिश में अपने ख्वाब को साकार करती हूँ।
बच्चों को टिफ़िन,
तुम को नाश्ता,
माँ को दवाई ,
देने में खुद की नई पहचान बनाती हूँ।
खाने में रोटी गर्म,
शीशे सा दमकता फर्श ,
बच्चों के स्कूल का होम वर्क,
में एक महीने की पगार पाती हूँ।
गर्व के साथ स्वीकार करती हूँ उनकी भी उपलब्धियों को,
पर ये तो न कहो,तुम करती ही क्या हो।
