Rajeev Bagra
Abstract Fantasy Others
रानी
हैरानी
की जड़!
सर
की
पूजा का
असर!
बून्द, बून्द
से बिंदु
बनी!
रेखा का
बिंदु से
रेखा
तक का सफर!
न्यू ऐज बिज़नस
बॉलीवुड की रा...
टाई विथ सर
सफर
दीवार
फिर इक दिन हो जाती उस घर से हमेशा को विदा जिस घर को घर ही वो बनाती है। फिर इक दिन हो जाती उस घर से हमेशा को विदा जिस घर को घर ही वो बनाती है।
कुछ जगह तो सावन में भी सूखी ही रहती है जिन लोगों की जमीन सदा बंजर ही रहती है कुछ जगह तो सावन में भी सूखी ही रहती है जिन लोगों की जमीन सदा बंजर ही रहती है
मैं नहीं चाहता, उनके सुर में सुर मिलाना, मैं चाहता हूँ, अपनी खिचड़ी अलग पकाना! मैं नहीं चाहता, उनके सुर में सुर मिलाना, मैं चाहता हूँ, अपनी खिचड़ी अलग ...
चलो चुप ही रहते हैं और सुनते हैं ब्यस्त लोगों की बहसों का शोर! चलो चुप ही रहते हैं और सुनते हैं ब्यस्त लोगों की बहसों का शोर!
ये शहर था जो कभी ख्वाबों का विशाल महलों के नवाबो का! ये शहर था जो कभी ख्वाबों का विशाल महलों के नवाबो का!
मजबूत घना तना बढ़ता चला जड़ से पाकर यह आत्मबल, मजबूत घना तना बढ़ता चला जड़ से पाकर यह आत्मबल,
आज दिल में फिर इक कसक सी उठी फिर एक बार तन्हाई ने तन्हाई से पूछा! आज दिल में फिर इक कसक सी उठी फिर एक बार तन्हाई ने तन्हाई से पूछा!
आलम पूछो ना, मेरा तुम तन्हाई में मर मर कर जी रहा हूँ तन्हाई में। आलम पूछो ना, मेरा तुम तन्हाई में मर मर कर जी रहा हूँ तन्हाई में।
चाँद को मामा और तारों को परिजन सीखा देती है चाँद को मामा और तारों को परिजन सीखा देती है
सोच रही है कहाँ घर है प्रीतम का एक उम्र ही गुजर रही है पालकी में। सोच रही है कहाँ घर है प्रीतम का एक उम्र ही गुजर रही है पालकी में।
मेरा हनन करके उसका ही नुकसान है तुम जाकर यह समझाओ, मेरा हनन करके उसका ही नुकसान है तुम जाकर यह समझाओ,
जब हमारा ये तन दुःखी होता है तब हमारा हरकर्म धूमिल होता है! जब हमारा ये तन दुःखी होता है तब हमारा हरकर्म धूमिल होता है!
वक्त की किताब के, पन्नों को, फिर से बांचना चाहता हूँ! वक्त की किताब के, पन्नों को, फिर से बांचना चाहता हूँ!
हुए खुद नहीं जानता, कौन कराता, उससे यह बखान हुए खुद नहीं जानता, कौन कराता, उससे यह बखान
थोड़ी शर्मिंदगी कम होती है। थोड़ी शर्मिंदगी कम होती है।
शब्दों की वो खिलखिलाहट जो लिखने को आतुर रहते थे अब गुम हो गए हैं। शब्दों की वो खिलखिलाहट जो लिखने को आतुर रहते थे अब गुम हो गए हैं।
उसकी तीसरी पीढ़ी का शासन है, आराम है, पर--- मन करवटें बदलता रहता है उसकी तीसरी पीढ़ी का शासन है, आराम है, पर--- मन करवटें बदलता रहता है
वो बंद खिड़की अपने भाग्य पर इठला रही है, कमरा रोशन हो, जगमगा उठा है! वो बंद खिड़की अपने भाग्य पर इठला रही है, कमरा रोशन हो, जगमगा उठा है!
मेरी औक़ात की चादर को मैं रुसवा नहीं करती ज़रूरत से ज़्यादा पाँव फ़ैलाया नहीं करती। मेरी औक़ात की चादर को मैं रुसवा नहीं करती ज़रूरत से ज़्यादा पाँव फ़ैलाया नहीं...
आज समय थम सा गया ठण्डी बर्फ की तरह जम सा गया। आज समय थम सा गया ठण्डी बर्फ की तरह जम सा गया।