तेरा इंतज़ार
तेरा इंतज़ार
इस दुनिया में ना जाने कितने ही दिन
काटे हैं मैंने तेरे इंतज़ार में...
घने सन्नाटों में...
बेमौसम की बारिशों में...
मगर मैं तो जानती ही नहीं थी की
जिसका इंतज़ार है बरसों से मुझे
उसे बनाना तो खुद ख़ुदा के लिए भी
नामुमकिन सा था।।
ऐसा कोई इस दुनिया में हो ही नहीं सकता
कोई इतना अच्छा इतना परफेक्ट,
इस मतलबी दुनिया में कैसे ही हो सकता है।
मगर में अपना फ़र्ज़ अदा करुँगी
अपने ख़ुदा की तरफ़....
अपनी शिद्द्त पे भरोसा करूँगी ।।
कल भी था...
आज भी है...
और..
कल भी रहेगा मुझे उसका इंतज़ार।।
