सुकून के पल
सुकून के पल
ये वही तो पल है सुकून के,जिनको तू चाहता रहा यूं ही, उम्र भर,
जाया न कर, जी ले इसे, फिर शायद अपना कोई न मिले
कभी इतनी फुर्सत में।
माना के थोड़े ज्यादा हो गए, पर अब मिल ही गए हैं तो ,
तू भी थोड़ा ठहर ले,
बहुत भागा है तू, थोड़ी सांसें फिर से भर ले अपने सीने में।
यहाँ सब तो रुके है, कौन आगे निकल जायेगा इस दौड़ में?
निकल भी गया तो क्या? कोई गिला न कर, तू मस्त रहे अपने
सुकून में।
अभी आगे बहुत कुछ बाकी है, बचा के रख कुछ लम्हों को,
रहेगा काबिल तू खुद निपुर्ण, तभी तो,
पा सकेगा जो चाहिए इस जीवन में।
