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Preeti Singh

Inspirational

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Preeti Singh

Inspirational

स्त्री

स्त्री

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जन्म देने वाली मां,

दोस्त से बढ़कर साथ देने वाली एक बहन,

और कहीं

मां सा खयाल रखने वाली एक बेटी हूं मैं...

हां.... स्त्री हूं मैं....

जीवन के ऊंचे नीचे

पथरीले रास्तों पर,

हर पल तुम्हारी संगिनी हूं मैं....

हां... स्त्री हूं मैं...


तुम्हारे हर ख्वाब को जिसने

सींचा है अपने हौंसलों से,

तुम्हारी हर ख्वाहिश को

जिया है जिसने अपना समझकर...

घिर गए जो कभी काले अंधेरे साए मुश्किलों के,

राह दिखाती उस पल

उम्मीदों की वो रोशनी हूं मैं.....

हां... स्त्री हूं मैं....


जीत कर जग को जब

अहंकार से भर गया मन तुम्हारा,

हर सांस पर तब मिलने लगी

तब कोई ना कोई चोट तुमसे...

तोड़ मरोड़ कर मुझे

जब संतुष्ट हो जाता अहम तुम्हारा,

तब भी टूटे बिखरे उस दर्पण संग

तुम्हारा आत्मिक संबल बनी हूं मैं....

हां.... स्त्री हूं मैं....


जब चाहा 

तब रौंद दिया वजूद को तुमने,

जब चाहा

तब देवी सा सम्मान दिया.....

जब कभी 

रह गए कुछ पायदान पीछे तुम,

चरित्रहीन.... वैश्या का भी

तुमने ही नाम दिया.....

मनुष्यता को जीवन देती

फिर भी जीवन भर जलती 

रोशनी हूं मै....

हां.... स्त्री हूं में!



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