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सरहदें

सरहदें

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कल्पनाओं को सरहदो में न बांधो

उन्हे दहलीज़ के बंधनो से न रोको

उड़ जाने दो जहां तक चाहे,

उड़ जाने दो।


उन्हे रंगो की आजादी दे दो

फलक पर इन्द्रधनुषी रंग फैलाने दो

रंग जाने दो जहां तक चाहे

रंग जाने दो।


बिन डोर पतंग को लहराने दो,

उन्मुक्त गगन में छा जाने दो,

छा जाने दो जहां तक चाहे

छा जाने दो।


साकार स्वप्न हो या धूल धूसरित इच्छाऐं

चार दीवारी से बाहर आने की है बेताबी।

आने दो बस आने दो,

इच्छाओं को बाहर आने दो।


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