शून्य
शून्य
और
मैं
चला
गया
राफ्ता
राफ्ता
उसके
प्यार
के
आगोश
में
खबर
हीं
नहीं
हुआ
मुझे
बाहरी
दुनियां
का
जब
होश
आया
तो
कुछ
भी
नहीं
बचा
था
शेष
ना
परिवार
ना
दोस्त
ना
हीं
कोई
रिश्ता
नाता।
और
मैं
चला
गया
राफ्ता
राफ्ता
उसके
प्यार
के
आगोश
में
खबर
हीं
नहीं
हुआ
मुझे
बाहरी
दुनियां
का
जब
होश
आया
तो
कुछ
भी
नहीं
बचा
था
शेष
ना
परिवार
ना
दोस्त
ना
हीं
कोई
रिश्ता
नाता।