शाश्वत सत्य
शाश्वत सत्य
जीवन
के बाद
क्या होगा
शेष कुछ
भी नहीं
बचेगा
सबकुछ तो
यहीं पर
छूट जाएगा
वो यादें
वो अनुभूतियां
वो सांसे
वो आभास
वो ज्ञानेंद्रिया
सब कुछ
यह देह
शून्य
अनदेखा
हंस की भाती
आत्मा
पमात्मा में
विलीन
हो जाता है
अपना कर्म
हीं अमर रहेगा।