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Amar singh Rathore

Inspirational

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Amar singh Rathore

Inspirational

राणा प्रताप

राणा प्रताप

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पूण्य मेवाड़ की बलिवेदी पर,आजीवन संघर्ष किया।

मातृभूमि की रक्षा पर,सुख राज महल भी त्याग दिया।


प्राण हथेली पर धरकर,जब दुश्मन को ललकारा था।

प्रताप के स्वाभिमान का,जयकारा ही जयकारा था।।


शेर शूरमा सी हुंकार भरी थी,वीर प्रताप की वाणी में।

दुश्मन भी काँपा करते ,जब तेल निकलता घाणी में।


 मातृभूमि की रक्षा पर उसने, घास चपाती खाई थी।

रोटी पे देख बिलखअमर को,नयनाश्रुधारा आई थी।


दया करुणा सहिष्णु तथा,धर्म का वो प्रतिपालक था।

अश्व सहित भू पर गाड़ा, वहअमर उसका बालक था।


राणा प्रताप रणवेश पहन,जब युद्ध भूमि में आता था।

सूर्यवंशीय शिरमोर राणा वो,सूर्य सा चमक जाता था।


मातृभूमि रक्षा की पर उसने,स्वाभिमान को पाला था।

कवच किलो इक्यासी वह,सवामण उसका भाला था।


चेतक भी बलिदान हो गया,जब पार किया नाला था।

प्रताप परसंकट देखकर,शहीद हुआ मन्ना झाला था।।


 सिर पड़े पर या पाग नही,यह प्रताप ने तब ठाना था।

पृथ्वीराज ने कटु शब्दो से,स्वाभिमान याद दिलाया था।


आजीवन संघर्षो में बिता,तब स्वाभिमान ही बड़ा था।

राणा प्रताप जब स्वर्गसिधारा ,दुश्मन भी रो पड़ा था।।


    

  


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