मेवाड़ी पूज्य नारी
मेवाड़ी पूज्य नारी
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मेवाड़ की आन थी वो,चितौड़ की शान थी।
शौर्य की गर बात करे,वो कहानी महान थी।
अपने स्वाभिमान पर,जौहर करना ठान लिया।
क्या होता नारी सम्मान?इस युग ने मान लिया।
सौंदर्य का क्या कहूं?पर अभिमान न था कभी।
था विषय स्वाभिमान का,जोहर ठाना था तभी।
है पूज्य नारी पद्मिनी,तूने क्षत्रिय धर्म निभाया।
तुम्हारी बदौलत ही आज,मेवाड़ जग में छाया।
धन्य है वो धरा, जिस पर हुआ बलिदान तेरा।
जयकारा है मेवाड़ तेरा,एकलिंग है शान मेरा।
है मेवाड़ी पूज्य नारी,"अमर"करता प्रणाम है।
तेरे स्वर्णिम बलिदान का,इतिहास में नाम है।