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Awneesh Kumar Shukla

Drama

3  

Awneesh Kumar Shukla

Drama

पुरवा बयार

पुरवा बयार

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पुरवा बयार भी क्या चीज़ है,बता देती है

हर इक मौसम में अपने रंग दिखा देती है।


जब कभी महबूब की गलियों से गुजर आये तो

मुझको खुशियों के सैलाब में बहा लेती है।


यूँ कभी जिक्र हो यारों की महफ़िल में उनका,

सच कहता हूं के यादों की सज़ा देती है।


उभरते आशिकों को इसकी ख़बर भी नहीं यारों

पुराने ज़ख्म को रह-रह के जगा देती है।


ऐसा लगता है के बादल से था रिश्ता गहरा

जब भी आतीं है,उसको भी रुला देती है।


यूँ तो इन हवाओं से बच के रहना ऐ नान्ह,

ये जो तूफान बन जाएँ, उड़ा देती है।


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