जीएसटी पर कविता (अवधी)
जीएसटी पर कविता (अवधी)
हाँ ! भइया जीएसटी आई है
सुना भाय जीएसटी आई है।
साहब कहत हैं गुड़ और सिंपल
पर हमका लागथै बहुतै टिपिकल
औ साहब के मन का लुभाई है।
हाँ ! भइया जीएसटी आई है
सुना भाय जीएसटी आई है।।
अरुण जेटली दिहिन बताई
ई तौ नवा कानून है भाई
व्यापरियन कै व्यापार बढे खुब
सीए,वकील कै बढ़े कमाई
हमका बात पचत नाहीं है
अउरौ के समझ न आई है
हाँ! भइया जीएसटी आई है
सुना भाय जीएसटी आई है।।
पप्पू भइया दिहिन सुनाई
ई तौ गब्बर सिंह टैक्स है भाई
जनता कै नुक्सान बहुत है
व्यापरियन कै बहुतै खिंचाई है
हाँ ! भइया जीएसटी आई है
सुना भाय जीएसटी आई है।।
पेट्रौल,शराब कै दिहिन हटाई
कपडा - लत्ता कै दिहिन बढ़ाई
महिला के नाउ पै सरकार बनाइन
अब पैडवौ पै जीएसटी लगाई है।
हाँ ! भइया जीएसटी आई है
सुना भाय जीएसटी आई है।।
सीए साहब कहत हैं भाई
रिटर्न भर-भर के गयन अकुलाई
आगेव फिर बदलाव के बारे
मीटिंग पै मीटिंग बुलाई है।
हाँ ! भइया जीएसटी आई है
सुना भाय जीएसटी आई है।।