पथिक
पथिक
जो कभी ना रुका, कभी ना थका.
पथिक वो आगे बढ़ा, जो कभी ना रुका।
संघर्ष की राहों पर जलता चला,
शोलों की मिट्टी से तपकर निकला।
रखे हौसला साहस, धैर्य, शौर्य का
वो आगे बढ़ा, नीरस ना पढ़ के रुका।
कई बातें सुनी, उपहासों के घूंटों को,
रख मन मे बढ़ता चला,
पथिक जो कभी ना रुका।