प्रेम !
प्रेम !
ढाई आखर की
ताकत इतनी
इसके खातिर
घर को छोड़ा,
अपने रिश्ते
और नाते छूट गए
समाज और परिवार
भी छूट गया,
जग छूट गया
फिर भी गम नही,
इस प्रेम ने हमको
इतना मजबूत किया
सबसे लड़ने की
और जीतने की
ताकत दिया
प्रेम की ताकत ने हीं
मुझको आबाद किया
प्रेम ने ही मेरे दिल में
रोमांच पैदा किया
मेरे नीरस जीवन को
प्रेम ने ही रस से
सराबोर कर दिया
प्रेम तुम्हारा मै
शुक्रगुजार हूं.