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Mamta Choudhari

Abstract

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Mamta Choudhari

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पहले प्यार का आखरी खत

पहले प्यार का आखरी खत

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लिखे तो बहुत खत थे तुम्हे 

शायद पता लिखना भूल गयी

या तो कासिद से गुम गयी 

या खुदा की मेहर हो गयी .


सोचते हैं अगर मिल जाती तुम्हे तो क्या होता 

जो आज है वीराना दिल वो कल होता 

लेकिन तुम पास होकर भी दिल अकेला होता 

क्यूंकि बेवफा को वफाई कहाँ क़ुबूल है होता ?


अच्छा ही है खत नहीं मिला 

तुम उसके काबिल थे कहाँ ??

खुदा की इतनी रहमत हो गयी 

मेरी नज़म की तो इज़्ज़त रह गयी !


अगर ये पढ़ रहे हो तो एक बात बोले ?

आज भी तुम्हारा नाम लेते हैं हम , ये मानते हैं   

आखिर तुम वो ज़ख्म हो जिससे हम खुद से उभरे हैं      

ये काबिलियत हम लोगों को चीक चीख कर बताते हैं !!!



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