Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ravi kant chauhan

Abstract

4.5  

Ravi kant chauhan

Abstract

फिर बरसात होगी

फिर बरसात होगी

1 min
23.9K


फिर फूल खिलेंगे फिर चांदनी रात होगी

पतझड़ बीतेगा कल फिर बरसात होगी 


सुनाई देंगी किलकारियां पंछी फिर गाएंगे

मुरझाए हुए ये चेहरे फिर से मुस्कुराएंगे 


टूटेगी ये बेड़िया हम फिर आजाद होंगे

अपने पराए फिर एक दूसरे के पास होंगे 


प्रार्थना और धैर्य अपना रंग दिखलायेंगी

चचा अजान करेंगे माँ भी मंदिर जायेगी  


अमावस है आज और अंधेरी रात होगी

पतझड़ बीतेगा कल फिर बरसात होगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract