फासले
फासले
फासलों से अगर दिल की
दूरियों का पता लगता
तो पास होकर भी
दिलों में दूरियाँ ना होती,
ना होती कोलाहल में
खामोशियाँ,
और ना होती भीड़ भरी
राहों में तन्हाइयाँ।
कह पाती सब कुछ बेजान नज़रें भी,
ठहरा पानी भी बहुत कुछ कह जाता,
नहीं टूटती बोझल साँसें भी किसी
निशब्द बांह पर,
यमुना तट पर फिर
कोई प्रेम के गीत गाता,
फासलों से अगर दिल की
दूरियों का पता लगता।
