पेड़ बचाओ तुम
पेड़ बचाओ तुम
हरे भरे ये पेड़
दे रहीं जिदंगी हर पल हमें,
न काटों इनको इस कदर
न यु बरबाद करो अपना कल।
अपने हाथों से यूँ गला न घोटो धरती माँ का,
कुछ तो लिहाज़ करो अपने संस्कार का।
जागो मनुष्य और देखो अपने आस पास,
दिखेगा तुमको सिर्फ धुआँ,
न कही है पावन शीतल हवा।
कल इस धुए में जब घुटेगी तुम्हारी संसे,
जलेगा तुमहारा शरीर,
तब न देना तुम दोश धरती माँ को,
तब दोष देना तुम अपने आप को तुम।
अभी भी आखिरी मौका है,
बचालो अपनी संसे तुम,
ज़रा तो शर्म करलो अपने करमो पे,
वरना कल जरूर पछताओगे तुम।
मान लो मेरी बात दोस्तों,
थोडे़ ही सही, कुछ तो पेड़ बचालो तुम।