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Debashis Roy

Abstract

4.5  

Debashis Roy

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पदचिह्न

पदचिह्न

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240


पदचिह्न हैं इस जमीन पर, जिस पर में खड़ा हूं

पदचिह्न हैं उस पहाड़ी पर, जहां पर में कभी चढ़ा हूं।


अनंत गहन समुन्दर या बेगवती नदियां के धाराएं

वहां पर भी में अपना पदचिह्न रखा हूं छुपाके।


हजारो सालो के ना जाने कितने चिह्न छुपा हैं वहां

मिट गए...धूल गए सारे चिह्न, समय को नही मात दे पाए


सिर्फ कुछ ही चिह्न को अभी भी संभालकर रखा,

कोरोड़ों दिलों में बसा हैं प्यार और दर्द की कहानियां।


साक्षी हूं खुशि की पल के और गम की अशुओं में

साक्षी हूं जाति की उत्थान का और साम्राज्य की पतन के,


पता हैं याद करोगे हमें मेरे गुजरने के बाद

अगर कुछ भूल गया तो पूरा करने का शपथ !


ढूंढते रहोगे तुम मेरे जाने के पश्चात वक़्त

तो देगा ही तब आपनों के साथ।


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