नज़र पर नज़र
नज़र पर नज़र
तेरी नजरों का मैं,
कायल हो गया।
कोई कहे दीवाना,
मैं तो पागल हो गया।
झुकी हुई तेरी नज़र,
शर्म बयां करती है।
तेरी यही अदा तो,
इकरारे हां करती है।
देख लेना एक नजर,
तिरछी ही सही।
हो जाऊंगा मैं घायल,
नजर मिली तो सही।
कातिल है तेरी नज़र ,
मैं घायल हुआ जाता हूं।
बंधकर तेरे इश्क में,
फिर खींचा चला आता हूं।
नजर पर नजर,
न लगाओ तुम।
यूं नजरें न मुझसे,
कभी चुराओ तुम।
मर जाऊंगा तुम बिन,
दूर न मुझसे जाओ तुम।
अभी तो लम्हे ही बीते हैं
जिंदगी संग बिताओ तुम
नजरें चुराना भले ही
नजरें फेरना न कभी।
रूठ जाओ भले ही,
दूर जाना न कभी।
संग चलेंगे दूर तलक,
कहो नजरों से हां अभी।
नजरों से कर दो इशारा,
समझूं मैं बात सभी।
नजर आना हर वक्त,
मेरी नज़र में।
नजर रखना हर वक्त,
मेरी नज़र पे।
नजरों से जो गिरा,
फिर उठ न पाऊंगा।
नजरों का तारा बन,
नजरों में समा लूंगा।
बेताब है मेरी नजर,
एक नज़र के लिए।
जब पुकारूं आ जाना,
उम्र भर के लिए।
मीरा का श्याम हूं मैं,
बरखाने की तू है राधा।
जन्मों का साथ हमारा,
राधेय नाम है मेरा।
