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Vimla Jain

Abstract

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Vimla Jain

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नई पौध

नई पौध

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आज मन खुश हुआ।

सुबह उठ जो बाहर देखा।

बहुत दिनों के बाद

भूल चुके थे हम जिन बीजों को गमले में डाल।

क्योंकि कुदरत ने कहर बरपाया था

गर्मी से गरमाया था।

हमने भी अपनी आशा को उसके भेंट चढ़ाया था।

सोचा अब तो नहीं मिलेगी नई पौध की नई फसल

मन थोड़ा निराश तो आया था

मगर कुदरत ने हम पर थोड़ा रहम बरसाया।

थोड़ा पानी को बरसाया ।

थोड़ा गर्मी को भगाया

जब मौसम अनुकूल हुआ बीजों का।

सुषुप्त बीज मेँ जीवन आया

अंकुरित होते बीजों से नई पौध आज देख

हम खुशी से झूम उठे

दिया कुदरत को धन्यवाद।

समय पर पानी की फुआर बरसाए ।

प्यारी सी बरसात लाए।

हमारी बगिया में नई पौध

बाहर लाए हम बहुत हर्षाए।

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