निगाहें
निगाहें
मैंने गौर से देखा जब भी उसकी
ओर खामोश नज़रों का बया अंदाज़ ख़ास।
नादाँ की मुस्कान जहाँ की इनायत का पैगाम !
मैंने जब गौर से देखा जब भी उसकी ओर
सुबह की सुर्ख लाली खूबसूरत जहाँ की मुस्कान !
मैंने जब भी देखा गौर से उसकी ओर
चाँद की चांदनी अप्सरा ज़माने की
तमाम चाहतों की चाह की राह !
मैंने जब भी देखा गौर से उसकी ओर
सांसे, धड़कनों जहाँ में वजूद का एहसास !
मैंने जब देखा गौर से उसकी ओर।
भोली , कमसिन ,नाज़ुक कली नाज़
मैंने जब देखा गौर से उसकी ओर।
कभी हवाओं के झोको में विखरी
जुल्फों में रोशन चेहरे का सबाब चाँद !
मैंने जब भी गौर से देखा उसकी ओर
लावो की मुस्कान खामोश जुबान कहते,
मैं बाला हूँ , हाला मधुशाला हूँ।
जिंदगी की जमीं आसमान की परी हूँ
मैंने जब भी देखा गौर सेउसकी ओर
हिम्मत हौसलों की उड़ान नन्ही सी
जान जहाँ के जज्बे बुनियाद।
ईमान, खुद का ईनाम औरत,
नारी ज़माने की जान अभिमान।
स्वाभिमान प्यार परिवरिश का दामन,
आँचल की मर्यादा मान।