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Shraddha Jain

Abstract Inspirational

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Shraddha Jain

Abstract Inspirational

नारी है वो

नारी है वो

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वो कमज़ोर नही, नारी है वो

अकेले ही सब पर भारी है वो।

सारे काम करती साथ है वो,

दुसरो को खुश रखना जानती है वो।


अपने से ज्यादा दूसरों के लिए करती है वो,

अपने सम्मान के लिए खुद लड़ती है वो।

कभी दुर्गा तो कभी काली बन जाती है वो,

वो नारी है सब कुछ कर जाती है वो।


बच्चो पर आंच न कभी आने देगी वो,

खुद सह लेगी पर दुसरो को नहीं बताएगी वो।

डर कर नहीं डट कर सामना करती है वो,

वो नारी है अकेले ही सब पर भारी है वो।


वो माँ है, औरत है, बहु है , पत्नी है वो,

इन सबसे बढ़कर एक इंसान है वो।

ना करना कभी अपमान इस नारी का,

वो देवी है सबकी रखवाली करती है वो।


उठाएगी सर ऊंचा हर समाज में वो,

झुकायेगी सर नीचे हर बुराई का वो।

ना आने देना आँखों में उसके आंसू कभी,

वो मेहनती है, काम पूरा करके दिखाएगी सभी।



खुशी से संतुष्टि मिलती है

और संतुष्टि से खुशी मिलती है,

परंतु फर्क बहुत बड़ा है

"खुशी" थोड़े समय के लिए संतुष्टि देती है

और "संतुष्टि" हमेशा के लिए खुशी देती है।


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